समय के दौरान हम बहुत आगे निकल गए हैं लेकिन अपनी मिट्टी से हम अभी भी दूर नहीं रह सकते क्योंकि उसकी खुशबू हमें खींच ही लेती है |
आज मैं आप लोगों के लिए बिहार की बहुत ही फेमस तिलकोर पत्ते के पकोड़े की रेसिपी लेकर आई हूँ |
बिहार में खासकर मिथिलांचल की अगर हम बात करें तो वहाँ पर साग पत्तों का व्यंजन को सेहत से भरपूर माना गया है | शायद इसीलिए इस तरह के डिशेस वहाँ बहुत लोकप्रिय है |
बिहार में सभी तिलकोर के पत्ते के पकोड़े को बड़े चाव से खातें हैं | इसे लोग त्योहारों पर खास करके बनाते हैं, यह बहुत ही क्रिस्पी और खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है |
यहाँ पर जब भी कोई मेहमान आते हैं या भोजन के लिए थाली लगाया जाता है तो तिलकोर का पकोड़ा (तरुआ) जरूर होता है |
भले ही छप्पन भोग बनाए जाए किंतु तिलकोर का अपना एक अलग ही महत्व है| बहुत कम समय में कुछ ही सामग्रियों के साथ आसानी से यह व्यंजन बना जाता है जो बहुत ही क्रिस्पी और खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है |
जो एक बार यह पकोड़े खा लेता है वह इस पकोड़े के फैन हो जाता है उनका मन बार-बार इस पकोड़े को खाना चाहता हैं |
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